Thursday, March 21, 2013

मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) सन्तों की दृष्टि में !

मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) सन्तों की दृष्टि में !
(1) बाबा गुरू नानक जीः---- हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) के सम्बन्ध में कहते हैं 

पहला नाम खुदा का दूजा नाम रसूल।
तीजा कलमा पढ़ नानका दरगे पावें क़बूल।
डेहता नूरे मुहम्मदी डेगता नबी रसूल।
नानक कुदरत देख कर दुखी गई सब भूल 

ऊपर की पंक्तियों को गौर से पढ़िए फिर सोचिए कि स्पष्ट रूप में गुरू नानक जी ने अल्लाह और मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) का परिचय कराया है। और इस्लाम में प्रवेश करने के लिए यही एक शब्द बोलना पड़ता है कि मैं इस बात का वचन देता हूं कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं। औऱ मैं इस बात का वचन देता हूं कि मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम)अल्लाह के अन्तिम संदेष्टा और दूत हैं।
न इस्लाम में प्रवेश करने के लिए खतना कराने की आवशेकता है और न ही गोश्त खाने की जैसा कि कुछ लोगों में यह भ्रम पाया जाता है। यही बात गरू नानक जी ने कही है और मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) को मानने की दावत दी है। परन्तु किन्हीं कारणवश खुल कर सामने न आ सके और दिल में पूरी श्रृद्धा होने ते साथ मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) के संदेष्टा होने को स्वीकार करते थे।

(2) संत प्राणनाथ जीः---- ( मारफत सागर क़यामतनामा ) में कहते हैं-
आयतें हदीसें सब कहे, खुदा एक मुहंमद बरहक।
और न कोई आगे पीछे, बिना मुहंमद बुजरक ।
अर्थात् क़ुरआन हदीस यही कहती है कि अल्लाह मात्र एक है और मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) का संदेश सत्य है इन्हीं के बताए हुए नियम का पालन करके सफलता प्राप्त की जा सकती है। मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) को माने बिना सफलता का कोई पथ नहीं।

(3) तुलसी दास जीः------
श्री वेद व्यास जी ने 18 पुराणों में से एक पुराण में काक मशुण्ड जी और गरूड जी की बात चीत को संस्कृत में लेख बद्ध किया है जिसे श्री तुलसी दास जी इस बात चीत को हिन्दी में अनुवाद किया है। इसी अनुवाद के 12वें स्कन्द्ध 6 काण्ड में कहा गया है कि गरुड़ जी सुनो-

यहाँ न पक्ष बातें कुछ राखों। वेद पुराण संत मत भाखों।।
देश अरब भरत लता सो होई। सोधल भूमि गत सुनो धधराई।।

अनुवादः इस अवसर पर मैं किसी का पक्ष न लूंगा। वेद पुराण और मनीषियों का जो धर्म है वही बयान करूंगा। अरब भू-भाग जो भरत लता अर्थात् शुक्र ग्रह की भांति चमक रहा है उसी सोथल भूमि में वह उत्पन्न होंगे।
इस प्रकार हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) की विशेषताओं का उल्लेख करने के बाद अन्तिम पंक्ति में कहते हैं-
तब तक जो सुन्दरम चहे कोई।
बिना मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) पार न कोई।।
यदि कोई सफलता प्राप्त करना चाहता है तो मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) को स्वीकार ले। अन्यथा कोई बेड़ा उनके बिना पार न होगा।

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