शाहरूख ने सही तो कहा था
पिछले दिनों शाहरूख खान ने कहा था कि भारत में गुनह हो गया है मुसलमान होना उनके इस बयान पर काफी हौहल्ला मचा। और संघियों को तो जैसे एक और मौका मिल गया अपनी भड़ास निकालने का। अगर इस बयान की तह तक जाया जाये तो हम पायेंगे कि उनकी शिकायत वाजिब थी। जिसकी ताजा मिसाल सबके सामने है। हैदराबाद मक्का मस्जिद बम विस्फोट, सहित समझौता एक्सप्रेस, नांदेड़, मालेगांव बम विस्फोट के आरोपी कर्नल पुरोहित को बराबर तन्खवाह दी जा रही है उसके जेल में बंद होने के बाद भी उसकी नौकरी बरकरार है। दूसरी और पिछले वर्ष बम धमाके आरोप में कर्नाटक पुलिस ने 15 मुस्लिम नौजवानों को विभिन्न जगहों से गिरफ्तार किया था। इन नौजवानों में डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन के जूनियर सांईटिस्ट एजाज मिर्जा भी शामिल थे। जिन्हें अभी हाल ही में एनआईए ने क्लीनचिट दी, और बाइज्जत बरी कर दिया गया। जिस संस्था डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन में जूनियर साईंटिस्ट के पद पर कार्या कर रहे थे उस ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया जबकि कर्नल पुरोहित पिछले 5 साल से बम धमाकों के आरोप में जेल में बंद है और उसके बाद भी उन्हें वेतन मिल रहा है उनकी नौकरी पर कोई आफत नहीं आई। एसे में अल्लामा इकबाल की ये पंक्ती जीत जाती है “बर्क गिरती है तो बेचारे मुसलमानों पर”। ये वैसा ही है जैसा प्रवीण तोगड़िय़ा और अबकरुद्दीन औवेसी के मामले में जुर्म दोनों का एक था मगर जेल हुई सिर्फ अकबरउद्दीन औवेसी को कोर्ट में जज ने उन्हें समझाते हुऐ उन्हें उनके दादा की मिसालें दीं कि वे सैक्यूलरिज्म की मिसाल थे और आपने उनका भी अपमान किया है। मगर यही कोर्ट यही कानून प्रवीण तोगड़िय़ा के माले में चुप्पी साध लेता है। एसा क्यों है ? जबकि कानून तो सबके लिये बराबर है उसके कटघरे में खड़े व्यक्ति का जुर्म देखा जाता है ना कि उसकी जाती या समुदाय। फिर ये दौगलापन, सौतेला व्यवहार किस लिये ? और अगर एसे में शाहरुख खान अगर ये बयान देता हो जो ऊपर लिखा गया है तो इसमें गलत ही क्या है ? जबकि ये भेदभाव कोर्ट कचहरी से लेकर रोजमर्रा तक की जिंदगी में घर कर गया है ऐसे कई दोस्त हैं उन्हें मुसलमान होने की वजह से किराये पर घर रूम तक लेने में परेशानी होती है।
great work click here for josaa 2020
ReplyDelete