Thursday, March 21, 2013

क्या मुसलमान हजरे अस्वद की पूजा करते हैं ?

क्या मुसलमान हजरे अस्वद की पूजा करते हैं ? : हजरे अस्वद से सम्बंधित जो भी अमल मुसलमान करते हैं उनका सीधा सम्बन्ध अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से है कोई भी कार्य जो सुन्नत से साबित नहीं उनका करना मना है इसीलिए उमर रज़ियल्लाहो अन्हो ने जब हजरे अस्वद को चूमा तो कहा :" मैं जानता हूँ कि तू केवल एक पत्थर है न तू नफा पहुंचा सकता है और न ही हानि अगर मैं ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को तुझे चुमते हुए न देखा होता तो तुझे नहीं चूमता " इमाम तबरी फरमाते हैं कि : " उमर रज़ियल्लाहो अन्हों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि लोगों ने कुछ ही दिनों पहले बुतों कि पूजा को छोड़ा था तथा आप को डर हुआ कि कहीं यह लोग ये न समझने लगें कि पत्थर को चूमना उसकी ताजीम करना है जैसा कि इस्लाम से पूर्व अरब के लोग किया करते थे अतः उन्हों ने लोगों को यह बताना चाहा कि हजरे अस्वद का चूमना केवल अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के कार्यों का अनुसरण है इसलिए नहीं कि उसके अन्दर कोई नफा तथा हानि की कोई शक्ति है " यहाँ पता चला कि हजरे अस्वद को चूमना कोई पूजा या शर्द्दा नहीं है बल्कि ऐसी मुहब्बत और प्यार है जो अल्लाह के रसूल की सुन्नत के मुताबिक है , उदहारण के तौर पर : कोई आदमी जब अपनी पत्नी या संतान को चूमता है तो इसका अर्थ यह नहीं होता कि वोह उनकी पूजा करता है अर्थात यह एक प्रेम है जो खून के रिश्ते के लिए उमड़ता है , इसी तरह हजरे अस्वद को चूमना या छूना एक प्रेम है जिसको करने का आदेश अल्लाह और उसके रसूल ने दिया है यह पद तथा यह स्थान दुनिया के किसी दुसरे पत्थर को बिलकुल प्राप्त नहीं चाहे उसका मूल्य कितना ही उंचा क्यों न हो , और लोग उसे कितना ही ऊँचा दर्जा क्यों न दे दें

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