२१ मई १९९६ में हुए लाजपत नगर बम्ब ब्लास्ट केस की सुनवाई करते हुए आज हाई कोर्ट ने २ मुस्लमान युवको १६ साल बाद बा-इज्ज़त रिहा कर दिया और दिल्ली स्पेशल सेल को लताड़ा.....!
प्रशन ये है के १६ बाद आप बा-इज्जत रिहा करें या बेइज्जत रिहा करें क्या फर्क पड़ता है... आपने तो उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी अब छोड़ कर क्या फायदा.... ये तो आपका धंधा हो गया है पहले मुस्लिम युवकों को पकड़ो जेल में ठूंस दो फिर १५-२०
साल के बाद बा-इज्जत का लेबल लगा कर रिहा कर दो और पुलिस को एक चेतावनी दे कर मामला रफा-दफा कर दो.......!!
आज हम दिल्ली की कांग्रेस सरकार और अदालत से पूछना चाहतें हैं के जब ये दोनों बा-इज्ज़त रिहा हो गएँ तो की २१ मई १९९६ में हुए लाजपत नगर बम्ब ब्लास्ट के असली दोषी कौन है ...??? और इन दोनों की १६ साल की जिंदगी बर्बाद करने वाले दोषी हैं/नहीं ....???
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