Thursday, March 21, 2013

KYA AAP LOG MERI CHOTI SI KAHANI PADNA CHAOGE


https://www.facebook.com/photo.php?fbid=344802745633328&set=a.152616061518665.31691.152401068206831&type=1&theater .....IN JANAB JAISE MERI BHI KHUD AAP BITI HAI....KYA AAP LOG MERI CHOTI SI KAHANI PADNA CHAOGE...? JISKA EK EK LFAZ KHUDA KASAM SACCHA HOGA....
!!..लोग कहेते है की मुस्लिम को आतंकवादी नजरो से नहीं देखा जाता ....ये पोस्ट उनलोगों के मूह पे तमाचा है वो भी थूक लगा के ....!!

उत्तर प्रदेश के शहर देवबंद के सुप्रसिद्ध मदरसे के एक मौलाना के बारे में पिछले दिनों यह ख़बर लगभग हर समाचार पत्र में थी कि कथित तौर पर विमान को उड़ाने की बात कहने के आरोप में मौलाना नूरुल हुदा को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.
बीबीसी की संवाददाता ख़दीजा आरिफ़ ने देवबंद में मौलाना नूरूल हुदा से बातचीत की:
सबसे पहले आप ये बताइए कि जब आप विमान में सवार हो गए और जब विमान उड़ने वाला था तो क्या हुआ?
मैं एमिरेट्स एयरलाइन की अपनी सीट पर बैठ गया. मेरी पास वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी.
जहाज़ में और लोग भी फ़ोन पर बात कर रहे थे और वह लड़की भी फ़ोन पर बातें कर रही थी.
उस लड़की ने भी अपने रिश्तेदारों से बातें की. वह हिंदी और अंग्रेज़ी में बातें कर रही थी तो उससे मुझे अंदाज़ा हुआ कि वह हिंदुस्तानी है.
मैंने भी अपनी पत्नी और अपने बेटे से फ़ोन पर बात की.
मेरा बेटा मुझे एयरपोर्ट छोड़ने आया था. उसने मुझे फ़ोन किया और पूछा कि अब्बू आप जहाज़ में बैठ गए तो मैंने उससे कहा कि जहाज़ में बैठ गया हूं और बस 15 मिनट में जहाज़ उड़ने वाला है. उसके बाद मैंने कोई और बात नहीं की.

मैंने किसी राजनीतिक पार्टी से संपर्क नहीं किया. मुझे पूरी तरह से मालूमात भी नहीं मिली. मेरा पूरा सामान ज़ब्त था. तो मैं किसी से संपर्क कर भी नहीं सकता था.

मौलाना नूरुल हुदा
लेकिन जहाज़ समय पर नहीं उड़ा. बल्कि काफ़ी देर हो गई. इसी बीच मैंने महसूस किया कि वह लड़की भी अपनी सीट से उठ कर चली गई है.
थोड़ी देर बाद एक कर्मचारी मेरे पास आया और मेरा पासपोर्ट मांगा और उसके बाद उसने कहा अपना सामान उठा लीजिए और मेरे साथ चलिए, उस लड़की को भी जहाज़ से उतार लिया गया.
उस लड़की से मेरे सामने तो कोई पूछताछ नहीं की गई लेकिन कर्मचारी ने मुझे बताया कि उस लड़की ने उन्हें बताया है कि मैं जहाज़ को उड़ाने की बात कर रहा था.
मैंने कहा मैं तो आलिम (आध्यात्मिक) आदमी हूं. मदरसे से मेरा ताल्लुक़ है और पढ़ने-पढ़ाने का काम करता हूं.
हम तो यह सीख देते हैं कि किसी को नुक़सान न पहुंचाइए. मैंने उनसे कहा कि मेरी फ़ोन पर यह बात हुई है और आप चाहें तो कंप्यूटर से पता करलें कि फ़ोन पर क्या बात हुई है.
उन्होंने मेरे सामान की तलाशी ली और कई बार तलाशी ली. कोई चीज़ उनको नहीं मिली.
उनको चाहिए था कि वो फिर मुझे जाने देते. मुझे बाद में पता चला कि दूसरी फ़्लाइट से उस लड़की को भेज दिया गया.
लेकिन बार बार अलग अलग अधिकारी एक-एक करके या गुट बना कर आते रहे और मुझ से जहाज़ को उड़ाने वाली बात करते रहे.
मैंने उनसे कहा कि ये बताएं कि ट्रेन को कहते हैं चलने वाली है. गाड़ी के बारे में कहते हैं चल रही है क्योंकि ये सब चलती हैं.
जहाज़ के बारे में ये भी कहा जाता है कि उड़ने वाला है. अगर नहीं तो आप मुझे इसका मोतबादिल (पर्याय) बता दें कि अगर जहाज़ उड़ता नहीं तो क्या करता है?
एक साहब ने कहा कि मुझे अंग्रेज़ी में कहना चाहिए था कि जहाज़ उड़ने वाला है.
मैंने कहा मैं हिंदुस्तानी हूं और हिंदी बोलता हूं. इसके बाद वो मेरे साथ इज़्ज़त से पेश आए.
उसके बाद मुझे ये अंदाज़ा हुआ कि हर विभाग में अच्छे और बुरे लोग होते हैं. लेकिन जो मानसिक तकलीफ़ मुझे हुई उससे मुझे अभी तक परेशानी है.
अधिकारियों ने मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नहीं की.
देवबंद मदरसे के बच्चे
देवबंद का मदरसा दारुल उलूम दुनिया भर में इस्लामी शिक्षा के लिए मशहूर है
किन लोगों से आपने मदद के लिए संपर्क किया?
मेरे साथ मेरा बेटा था जो मुझे एयरपोर्ट छोड़ने आया था. ज़िंदगी में मेरे ख़ानदान के किसी आदमी के साथ ऐसी दुर्घटना नहीं हुई. मेरा 18 साल का लड़का और बाद में मेरा भाई वहां पहुंच गया.
किसी राजनीतिक पार्टी ने आपकी मदद की?
मैंने किसी राजनीतिक पार्टी से संपर्क नहीं किया. मुझे पूरी तरह से कोई जानकारी भी नहीं थी. मेरा पूरा सामान ज़ब्त था. तो मैं किसी से संपर्क कर भी नहीं सकता था.
मुझे जब थाने ले गए तो मैंने अपने बेटे को फ़ोन किया और उसे पूरी स्थिति बताई.
पिछले 10 वर्षों पर नज़र दौ़ड़ाएं तो इस प्रकार की घटना कोई नई बात नहीं है!
मैं आपको ये बताऊँ कि जहाज़ उड़ने वाला है ये कोई ऐसा वाक्य नहीं है जिसकी पकड़ की जाए.
मुसलमान होना जुर्म, टोपी कुर्ता पहनना जुर्म, लगता है उसी की सज़ा दी जाने की कोशिश की जा रही है.
किसी भी तरह से आलिमों का जुर्म साबित नहीं हो सका, हम मदरसे वाले हैं,
हम अपराध के लिए पैदा नहीं हुए हैं हम तो शांति की शिक्षा देते हैं.
अब आपने क्या सोचा है, सरकार के सामने अपना प्रतिरोध दर्ज करेंगे?
मैं तो रात ही दिल्ली से देवबंद पहुंचा हूं और अभी मैंने कुछ सोचा नहीं है.
कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि ऐमिरेट्स को आपको हर्जाना देना चाहिए.
अगर उन्होंने ऐसा कहा है तो मैं उनको मुबारकबाद देता हूं.....

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