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अल्लाह “क़ुरान” में खुले शब्दों में हुए कहते है कि-
और जब उनमें से किसी को बेटी की शुभ सूचना मिलती है तो उसके चहरे पर कलौंस छा जाती है और वह घुटा-घुटा रहता है ।जो शुभ सूचना उसे दी गई वह (उसकी दृष्टि में) ऐसी बुराई की बात हुई जो उसके कारण वह लोगों से छिपता फिरता है कि अपमान सहन करके उसे रहने दे या उसे मिट्टी में दबा दे। देखो, कितना बुरा फ़ैसला है जो वे करते है! (क़ुरान 16/58,59)।
अल्लाह क़ुरान में लड़की और लड़के के भेदभाव को खतम करते हुए कहते है कि-
अल्लाह ही की है आकाशों और धरती की बादशाही। वह जो चाहता है पैदा करता है, जिसे चाहता है लड़कियाँ देता है और जिसे चाहता है लड़के देता है।( क़ुरान-42/49 )
इस आयात में ध्यान देने वाली बात है कि अल्लाह ने लड़कियों का जिक्र लड़को से पहले किया है।इसी आयात पर सय्यिदना वथीलह इब्न असका ने कहा है कि वो औरत भाग्यशालि है जो अपनी पहली संतान के रूप में लड़की को जन्म दे।
हज़रत मुहम्मद (स०) ने फरमाया है कि जो दो लड़कियों को अच्छी तरह पाले-पोशे वो मेरे साथ जन्नत में ऐसे होगा जैसे कि दो उँगलियों के बीच अंतर होता है।
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