क्या आप इस महापूरूष को जानते हैं??
जिन्होंने अरब के वातावरण में चालीस वर्ष तक शराब को मुंह तक न लगाया था हालांकि शराब पीना अरबों की आदत थी
किसी महिला की ओर आँख तक न उठाई थी जबकि अरब व्यभिचार के रसिया होते थे, चालीस वर्ष की आयु में उनको संदेष्टा बनाया गया तब तक सारे लोग उनको अमानतदार और सच्चा के नाम से पुकारते थे।
आपने लोगों को बुराई से रोका। जुआ, शराब, व्यभिचार, और बेहयाई से मना किया। उच्च आचरण और नैतिकता की शिक्षा दी, एक ईश्वर का संदेश देते हुआ कहा कि «हे लोगो! एक ईश्वर कीपूजा करो, सफल हो जा ओगे»सज्जन लोगों ने आपका अनुसरण किया और एक ईश्वर के नियम…ानुसार जीवन बिताने लगे। परन्तु जाति वाले जो विभिन्न बुराइयों में ग्रस्त थे, स्वयं अपने ही जैसे लोगों की पूजा करते थे और ईश्वर को भूल चुके थे, काबा में तीन सौ साठ मुर्तियाँ रखी थीं। जब आपने उनको बुराइयों से रोका तो सबआपका विरोद्ध करने लगे। आपके पीछे पड़ गए आपको गालियाँ दी, पत्थर मारा, रास्ते मेंकाँटे बिछाए
आप पर पर ईमान लाने वालों को, एक दो दिन नहीं बल्कि निरंतर 13 वर्ष तक भयानक यातनायें दी, यहाँ तक कि आपको और आपके अनुयाइयों को जन्म-भूमी से भी निकाला, अपने घर-बार धन-सम्पत्ती छोड़ कर मदीना चले गए, और उन पर आपके शुत्रुओं ने कब्ज़ा कर लिया था लेकिन मदीना पहुँचने के पश्चात भी शत्रुओं ने आपको और आपके साथियों को शान्ति से रहने न दिया। उनकी शत्रुता में कोई कमी न आई। आठ वर्ष तक आपसे लड़ाई ठाने रहे पर आप और आपके अनुयाइयों नें उन सब कष्टों को सहन किया
फिर 21 वर्ष के बाद एक दिन वह भी आया कि आप के अनुयाइयों की संख्या दस हज़ार तक पहुंच चुकी थी और आप वह जन्म-भूमि (मक्का) जिस से आपको निकाल दिया गयाथा उस पर विजय पा चुके थे। प्रत्येक विरोधी और शुत्रु आपके कबजे में थ, यदि आप चाहते तो हर एक से बदला ले सकते थे और 21 वर्ष तक जो उन्हें चैन की साँस लेने नहीं देते थे सब का सफाया कर सकते थे लेकिन आपको तो मानवता के लिए दयालुता बना कर भेजा गया था। ऐसा आदेश देते तो कैसे ? उनका उद्देश्य तो पूरे जगत का कल्याण था इस लिए आपने लोगों की क्षमा काएलाम कर दिया।
इस सार्वजनिक एलान का उन शत्रुओं पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि मक्का विजय के समय आपके अनुयाइयों की संख्या मात्र दस हज़ार थी जब कि दो वर्ष के पश्चात अन्तिम हज के अवसर पर आपके अनुयाइयों की संख्या डेढ़ लाख हो गई थी.
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