Thursday, March 21, 2013

पैगंबर मुहम्मद सल्ल.

पैगंबर मुहम्मद सल्ल. ने अपने साथियों को कहा की वे विनम्र बनें , जब भी हो गुलाम को रेहा करें , दान दें , विशेष रूप से बहुत ही गरीब लोगों को और अनाथों को किसी भी प्रकार के इनाम की प्रतीक्षा किये बिना मदद करे.

वे बहुत कम और सादा ख
ाना खाते थे, पेट भरकर खाने को पसंद नहीं करते थे . कभी कभी, कई दिनों के बाद खाते थे और जो रुखी सुखी मिलती खा लिया करते थे . वह फर्श पर एक बहुत ही साधारण गद्दे पर सोते थे और उनके घर में आराम के या सजावट के रूप में कुछ भी नहीं था.
एक दिन हज़रत हफ्सा, उनकी पवित्र पत्नी उनके गद्दे को रात में आरामदायक बनाने के लिए, उनको बताये बिना उनकी चटाई को डबल तह कर दी ,ताकि नर्म रहे , उस रात वह चैन से सो गए , लेकिन वह देर तक सोते रहे जिस की वजह से उनकी सुबह सवेरे प्रार्थना की छुट गई.वह इतना परेशान हुए कि फिर ऐसा कभी नहीं सोए!
सादा जीवन और संतुष्टिपैगंबर के जीवन के महत्वपूर्ण शिक्षा थे:"जब आप एक ऐसे व्यक्ति को देखें जिसे आप की तुलना में आप से ज्यादा ओर अधिक धन और सुंदरता मिली है , तो उनको भी देखो जिनको आप से कम दिया गया है." इस प्रकार की सोंच से हम अल्लाह का शुक्र अदा करेंगे , बजाय वंचित महसूस करने के.
लोग उनकी पवित्र पत्नी, हजरत आयशा से जो की उनके सबसे पहले और वफादार साथी अबू बकर की बेटी थीं , सवाल करतेथे की पैगंबर मुहम्मद घर में कैसे रहते थे, "एक साधारण आदमी की तरह," वह जवाब में केहती थी . "वह घर की साफसफाई, अपने कपड़े की सिलाई खुद से करलेते थे, अपनी सेनडल खुदसे ठीक करलेते थे , ऊंटों को पानी पिलाते थे, बकरी का दूध निकालते थे, कर्मचारियों की उनके काम में मदद करते थे, और उनके साथ मिलकर अपना भोजन करते थे , और वह बाज़ार से हमको जो ज़रुरत है लाकर देते थे."
उनके पास शायद ही कभी एक से अधिक कपड़े के सेट थे , जो वह खुद से धोया करते थे. वह घर में प्यार से रहने वाले, शांतिप्रिय मनुष्य थे . उन्होंने कहा जब आप किसी घर में प्रवेश करें तो वहाँ सुख और शांति के लिए अल्लाह ताला से दुआ करें. वह दूसरों से मिलते समय -अस्सलामो अलैकुम- का शब्द कहते थे:जिसका अर्थ है "तुम पर शांति हो" शांति पृथ्वी पर सबसे बढ़िया चीज़ है.

वह लोगों को शिष्टतापूर्वक रूप से मिलते थे और बड़ों को सम्मान देते थे उन्होंने कहा: " मुझे तुम में सब से प्यारा वह व्यक्ति लगता है जिसके व्यवहार अच्छे हों."

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