Thursday, March 21, 2013

कहा जाता है कि कुरान मुस्लिम को गैरमुस्लिम से दोस्ती करने से रोकती है

कहा जाता है कि कुरान मुस्लिम को गैरमुस्लिम से दोस्ती करने से रोकती है, जिस आयत पर आक्षेप किया जाता है वह यह है
"ईमानवालों को चाहिए कि वे ईमानवालों के विरुद्ध काफिरों को अपनासंरक्षक मित्र न बनाएँ, और जो ऐसा करेगा, उसकाअल्लाह से कोई सम्बन्ध नहीं..." [सूरह आले इमरान, आयत 28]
इस आयत में जो अरबी शब्द"अवलिया" आया है। उसका मूल"वली" है, जिसका अर्थ संरक्षक है, ना कि साधारण मित्र। अंग्रेजी में इसको "ally" कहा जाताहै। जिन काफिरों के बारे में यह कहा जा रहा है उनका हालतो इसी सूरह मेंअल्लाह ने स्वयंबताया है। सुनिए
"ऐ ईमानलानेवालो! अपनों को छोड़कर दूसरों को अपना अंतरंग मित्र न बनाओ, वे तुम्हें नुक़सान पहुँचानेमें कोई कमी नहींकरते। जितनी भी तुम कठिनाई में पड़ो, वही उनकोप्रिय है। उनकाद्वेष तो उनकेमुँहसे व्यक्त हो चुकाहै और जो कुछ उनकेसीनेछिपाए हुए है, वह तो इससेभी बढ़कर है। यदि तुम बुद्धि से काम लो, तो हमनेतुम्हारेलिए निशानियाँ खोलकर बयानकर दी हैं।" [सूरह आले इमरान, आयत 118]
ऐसे काफिरों से किस प्रकार मित्रता हो सकती है? यह तोएक स्वाभाविक बात है कि जो लोग हमसेहमारे धर्म के कारण द्वेष करें और हमें हर प्रकार से नुकसान पहुंचाना चाहें उन से कोई भी मित्रता नहीं हो सकती | कुरआन में गैर धर्म के भले लोगों सेदोस्ती हरगिज़ मना नहींहै। सुनिए, कुरआन तो खुले शब्दों में कहताहै
"अल्लाह तुम्हें इससेनहींरोकता कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनकेसाथ न्याय करो, जिन्होंने तुमसे धर्मके मामले में युद्ध नहींकियाऔर न तुम्हें तुम्हारेअपनेघरोंसे निकाला। निस्संदेह अल्लाह न्याय करनेवालों को पसन्द करताहै अल्लाह तो तुम्हें केवलउन लोगों से मित्रता करनेसे रोकता है जिन्होंने धर्मके मामले में तुमसे युद्ध कियाऔर तुम्हें तुम्हारेअपनेघरोंसे निकाला और तुम्हारेनिकाले जानेके सम्बन्ध में सहायता की। जो लोग उनसेमित्रता करेंवही ज़ालिम है।" [सूरह मुम्ताहना; 60, आयत 8-9]


और सुनिए
"ऐ ईमानवालो! अल्लाह के लिए खूब उठनेवाले, इनसाफ़ की निगरानी करनेवालेबनो और ऐसा न हो कि किसीगिरोह की शत्रुता तुम्हें इस बात पर उभारदे कि तुम इनसाफ़ करनाछोड़दो। इनसाफ़ करो, यही धर्मपरायणता से अधिकनिकटहै। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही जो कुछ तुम करतेहो, अल्लाह को उसकीख़बरहैं।" [सूरह माइदह 5, आयत 8]
अल्लाह कभी लोगों कोनहीं बाँटते। सब अल्लाह के बन्देहैं। लोगअपनी मूर्खता और हठ से बट जाते हैं

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