Thursday, March 21, 2013

श्री रामपाल जी

भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरूके अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरूका पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है।
शॉर्ट में जिस हस्ती कोकबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दासहै। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पताहोगा ?
...लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारीभीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं।
परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनकेमुख से ही सुन लीजिए-
माया मरी न मन मरा, मर मरगए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।
वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि
साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय ।।

http://vedquran.blogspot.in/2013/03/kabeer-ke-dohe.html

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