Wednesday, March 20, 2013

कल्की अवतार

कल्की अवतार

मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम वह अन्तिम संदेष्टा हैं जिनके आगमन की भविष्यवाणी उनके पूर्व प्रत्येक धार्मिक ग्रन्थों ने की है। 
हम यहाँ संक्षिप्त में कुछ उदाहरण प्रस्तुत करने पर बस करेंगे। 
महात्मा बुद्ध की भविष्यवाणीः महात्मा बुद्ध ने मरते समय अपने शिष्य नन्दा को कान में (मैत्रेय) के नाम से बुद्ध के आने की सूचना दी जिसका अर्थ (मुहम्मद) होता है।

नराशंस और मुहम्मदः वेदों में नराशंस के नाम से 31 स्थान पर और पुराणों में (कल्की अवतार) के नाम से मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम का वर्णन मिलता है। नराशंस (नर) और (आशंस) दो शब्दों से मिल कर बना है, नर का अर्थ होता है (मनुष्य) और (आशंस) का अर्थ होता है (प्रशंसित) अर्थात ( मनुष्यों द्वारा प्रशंसित) और मुहम्मद का अर्थ भी (प्रशंसित मनुष्य) ही होता है। और आप पानी को हिन्दी में जल कहते हैं, अंग्रेज़ी में वाटर कहते हैं, फारसी में आब कहते हैं, और अरबी में माअ कहते हैं पर शब्द एक ही है वैसे ही मुहम्मद को संस्कृत में नराशंत कहा गया है।

मुहम्मद तथा अहमद का उल्लेखः भविष्य पुराण (323/5/8) में है (ऐक दूसरे देश में एक आचार्य अपने मित्रों के साथ आयेगा उनका मान महामद होगा वे रेगिस्तानी क्षेत्र में आएंगे)
और यजुर्वेद (18/31) में है (वेदामहेत पुरुष महान्तमादित्तयवर्ण तमसः प्रस्तावयनाय) वेद अहमद महान व्यक्ति हैं, सूर्य के समान अंधेरे को समाप्त करने वाले, उन्हीं को जान कर प्रलोक में सफल हुआ जा सकता है, उसके अतिरिक्त सफलता तक पहुंचने का कोई दूसरा मार्ग नहीं।)

जन्म तिथि का उल्लेखः कल्कि पुराण (2/15) में अन्तिम संदेष्टा के जन्म तिथि का भी उल्लेख किया गया है (जिसके जन्म लेने से दुखी मानवता का कल्याण होगा, उसका जन्म मधुमास के शम्भल पक्ष और रबी फस्ल में चन्द्रमा की 12वीं तिथि को होगा) मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम का जन्म भी 12 रबीउल अव्वल को हुआ। रबीउल अव्वल का अर्थ होता है (मधुमास के हर्षोल्लास का महीना)

विष्णुयश कल्कि के पिता का नाम बताया गया है और मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम के पिता का नाम अब्दुल्लाह था और जो अर्थ विष्णु का होता है वही अर्थ अब्दुल्लाह का भी होता है। विष्णु यानी अल्लाह और यश यानी बन्दा अर्थात अल्लाह का बन्दा (अब्दुल्लाह)

उसी प्राकार कल्की की माँ का नाम सुमति (सोमवती) आया है जिसका अर्थ होता है (शान्ति एवं मननशील स्वभाव वाली) और मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम की माता का नाम भी (आमना) था जिसका अर्थ है (शान्ति वाली)।

डा0 वेद प्रकाश उपाध्याय ने अपनी पुस्तक (कल्की अवतार और मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम) में कल्की तथा मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम की विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए बताया है कि आज हिन्दु भाई जिस कल्की अवतार की प्रतीक्षा कर रहे हैं वह आ चुके और वही मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम हैं।

बुद्धि की दुर्बलता

मानव जब अपने सामने किसी चीज़ को देख कर उस पर ईश्वर का अनुमान करने लगता है तब वह पथभ्रष्ट हो जाता है। जी हाँ! बुद्धि से सोचना अच्छी बात है, और बुद्धि से ही ईश्वर का ज्ञान प्राप्त हो सकता है, हम क्या? संसार क्यों है? इसे किसने बनाया? हमारे और आप जैसे रूप रखने वाले मानव ने? इन प्रश्नों पर दृष्टि डालने से स्वयं ज्ञात होता है कि हम सब को ईश्वर और श्रृष्टा केवल एक है और वही पूरे संसार को चला रहा है, तथा वही एक दिन इसे नष्ट भी करेगा, वही हमारे ऊपर हर प्रकार का उपकार करता है, वह दयालू और कृपाशील है।

मानव जब अपनी तुच्छ बुद्धि से ईश्वर के सम्बन्ध में अनुमान लगाना शुरू कर देता है तो वह उसे भौतिक रूप में देखने की चेष्टा करता है, कारणवश वह उसको मुर्ति आदि में सीमित करने लगता है। हालांकि ईश्वर जो सम्पूर्ण संसार का सृष्टिकर्ता है उसके सम्बन्ध में ऐसा सोचा नहीं जो सकता. (न तस्य प्रतिमा अस्ति) ईश्वर की कोई मुर्ति नहीं बन सकती है।

ईश्वर एक है, उसको किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती, उसके पास माता पिता नहीं, न उसके पास सन्तान है , और उसकी पूजा में उसका कोई भागीदार नहीं (क़ुरआन : सूरः अल-इख़लास)

विचार करें!

आज मैं क़ुरआन की एक सूरः पर चिंतन मनन कर रहा था जिसमें ईश्वर का पाँच शब्दों में परिचय कराया गया है। कुछ लोगों ने अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहोअलैहेवसल्लम से प्रश्न किया कि ईश्वर का परिचय कराएं तो अल्लाह ने स्वयं यह सूरः अवतरित कर दी। सोचा क्यों न अपने पाठकों को भी इस से अवगत कराएं क्योंकि मानव का ईश्वर तो एक ही है और जो ईश्वर संसार का सृष्टीकर्ता एवं पालनकर्ता है उसके गुणों से अवगत होना हर इन्सान का कर्तव्य होना चाहिए तो आइए और हमारे साथ चिंतन मनन कीजिए इन गुणों परः

सूरः अल इख्लास ( सूरः न112)

(1) वह अल्लाह एक है।

(2) उसको किसी चीज़ की आवश्यकता नहीं पड़ती।

(3) उसके पास माता पिता नहीं।

(4) उसके पास संतान नहीं।

(5) उसका कोई भागीदार नहीं।

क्या आज हमारे समाज में जिनकी पूजा की जा रही है उन में यह पांच गुण पाए जाते हैं ? यह एक विचारनीय विषय है। जी हाँ! आज ईश्वर का नाम तो सब लेते हैं परन्तु उसे पहचानते बहुत कम लोग हैं। अब आप स्वयं सोचें कि बिना पहचान के ईश्वर की पूजा से क्या लाभ ? यदि आप पहचानते हैं ईश्वर को, तो तुलना कीजिए ईश्वर के इन पांच गुणों और पूज्यों के बीच, जिन की आज पूजा की जा रही है।

More Detail :http://antimawtar.blogspot.com/2009_08_01_archive.html

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