Thursday, March 21, 2013

"जिहाद की संक्षिप्ततम व्याख्या"

"जिहाद की संक्षिप्ततम व्याख्या"

अन्याय, अत्याचार व शोषण करने वाली शक्तियां, रक्तपात, नरसंहारकरने व तबाही, बरबादी फैलाने वाली शक्तियां, कमज़ोरों पर जुल्म ढाने वाली, उन्हें उनकी बस्तियों, आबादियों, घरों से निकाल देने या निकलने पर विवश कर देने वाली शक्तियां, ये सारे कुकृत्य ‘सशस्त्र’ होकर करें तो मुस्लिम समुदाय और मुस्लिम शासन का कर्तव्य है कि सशस्त्र होकर जु़ल्म का मुक़ाबिला किया जाए, अपनी रक्षा (
Defense) की जाए, ज़ालिम की अत्याचार-शक्ति-सामर्थ्य को कमज़ोर करके, तोड़करअत्याचार व शोषण का उन्मूलन कियाजाए। सत्य व ईशपरायणता तथा न्यायव शान्ति के दुश्मनों को पस्त किया जाए। न्याय व शान्ति की स्थापना की जाए। उस सत्य मार्ग, अर्थात् शाश्वत ईश्वरीय मार्ग को प्रशस्त किया जाए जिस पर चलकर मानव-समाज और मानवजाति इहलौकिक व पारलौकिक सुख-समृद्धि-सफलता से आलंगित होना सहज, सरल व संभव पा सके। इस सशस्त्र संघर्ष में स्वयं अत्याचार व अन्याय करने सेपूरी तरह रुका जाए। ईश्वरीय आदेशों, नियमों, शिक्षाओं और सीमाओं का पालन किया जाए...।

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