Thursday, March 21, 2013

Save gil child

आज कन्या भ्रूण हत्या हो रही है और इस पर काफी कुछ कहा और लिखा जा रहा है। कुछ दिन पूर्व ही हिंदी फिल्मों के कलाकार आमिर खान ने अपने कार्यक्रम सत्यमेव जयते में भी ये मुद्दा उठाया ,जिससे इस पर फिर से चर्चा शुरू हो गयी।


पुंसवन संस्कार
पुंसवन संस्कार क्या है,अथर्ववेद में पुंसवन नामक सूक्त है,इसी सूक्त कि व्याख्या करते हुए पद्मभूषण पंडित श्रीपाद दामोदर सातवेलेकर ने अपने अथर्ववेद के भाष्य में पुंसवन का अर्थ करते हुए लिखा है कि-

पुरुष पुत्र उत्पन्न होने का नाम “पुंसवन” और लड़की उत्पन्न होने का नाम “स्त्रैषूय” है।

श्री दामोदर ने अपनी व्याख्या का शीर्षक रखा है- “निश्चय से पुत्र की उत्पत्ति” जो स्वयं पुंसवन का अर्थ स्पष्ट कर देता है।

पुंसवन की व्याख्या करते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती के साथी और बाद में सनातन धर्म के नेता बनने वाले पंडित भीमसेन शर्मा ने लिखा है कि-

“उत्पत्स्यमानगर्भस्य बेजिकगार्भिकदोषपरिहारार्न्थ पुंरूपत्वसंपत्तये च पुंसवनम् (षोडशसंस्कारविधी, तृतीय संस्करण,1926, पृ. 72-73)

"अर्थात गर्भ से जन्म लेने वाले बच्चे के वीर्य व गर्भ संबंधी दोषों को दूर करने और उस के पुरुष रूप धारण करने के लिए पुंसवन संस्कार है।"

दूसरे शब्दों में ये हर गर्भ के पुरुष रूप धारण करने के लिए किया जाता है-अर्थात हर गर्भ से लड़का पैदा हो;यदि गर्भ में लड़की हो तो वह भी लड़का बन जाए।यह लड़की के भ्रूण के लड़के के रूप परिवर्तन के उद्देशये से किया जाता है।ये लड़की भ्रूण से छुटकारा पाने का प्राचीनकाल का वैदिक तरीका है।यह कितना कारगर है,इस बात को यदि छोड़ भी दें तो भी इसके पीछे कार्यरत मानसिकता तो स्पष्ट दिखाई दे ही जाती है।यदि भ्रूण में ही लड़की का लड़का बन जाए तो फिर लड़की का जन्म ही नहीं होगा।यह इस बात का सूचक है कि आज भी लोग नहीं चाहते है कि लड़की जन्म उस के यहां हो।

आज वैज्ञानिक साधनों से भ्रूण का लिंग जान कर उसके लड़की होने पर उसकी हत्या कर दी जाती है,यहां इस तरीके से लड़की भ्रूण को खत्म कर उसके स्थान पर लड़के का भ्रूण बना दिया जाता है।बात एक ही है,मानसिकता वही है,मात्र साधनों का अंतर है।
इस रोचक लेख को यहाँ पढ़ें 

http://islamhinduism.com/hinduism/analysis/244-female-foeticide-hindu-scriptures-hindi

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