Thursday, March 21, 2013

शिवाजी औरंगजेब

शिवाजी औरंगजेब की (केद) नजरबंदी से रोटियों के टोकरे में छुपकर भागा था,, महान योद्धाओं की महान बातें,बादशाह ने आलमगीर नामा में रोटियों का टोकरा लिखा हमने उसे फलों का टोकरा किताबों में कर लिया,,,, भागे तो हम टोकरे ही में,,, गर्व की बात है,,,,हमें नाज है ऐसे बाहदुरों पर,, जिसने अफजल खान को भी बडी बहादुरी से कतल किया,बेहद गर्व की बात है और हम कर भी किया सकते हैं

सैंकडों साल पुरानी किताब ''तारीख कशमीर'' से रोटियों के टोकरे की तफसील जानें
.........आलमगीर ने तुरंत इसकी नजरबंदी के आदेश जारी कर दिया. इससे शिवाजी की नज़रों में दनिया तारिक हो गई. अपनी रिहाई के बारे में उसे बहुत ही तरदद हुआ. चन्द रोज़ के बाद खुद को बीमार बना लिया. फिर मकर्बियन दरगाह द्वारा अपने साथियों के बारे विदा की अनुमति मांगी. राजा ने शिवाजी की शक्ति में कमी को गनीमत जानकर उसके साथियों को दरबार से विदा कर दिया. लेकिन वे बजाय वापस होने के भेस बदल कर शहर में गश्त लगाते थे. कुछ दिनों बाद शिवाजी स्वयं बीमार हो गया. राजा ने उसके इलाज और उपचार के लिए अपना डाक्टर नियुक्त किया. लेकिन मरीज से वास्तविक बीमारी दूर नहीं हुआ. इसके बाद शिवाजी दान सदकात में व्यस्त होए इस संबंध में हर दिन दोबड़े टोकरे रोटियों से भरकर अपने सामने पहुँचवाता था यतीमों में विभाजित करता था. गार्डों ने दो दिन तक तलाशी ली लेकिन जब जाना कह यह व्यक्ति प्रतिदिन आता तो तलाशी लेना छोड़ दिया (163). अंततः एक दिन शिवाजी और उसका बेटा रन्‍भाजी रोटियों के टोकरे में बैठकर कैद खाने बॉक्स से निकल आए .


عالمگیر نے فوراً اس کی نظربندی کے احکام صادر کردیے۔ اس سے شیواجی کی نظروں میں دنیاتاریک ہوگئی۔ اپنی رہائی کے بارے میں اسے نہایت ہی تردد ہوا۔ چندروزکے بعد اُس کے ہمراہیوں نے مصلحتاً خود کو بیمار بنالیا۔ پھر مقربین درگاہ کے ذریعہ اپنے ساتھیوں کے متعلق رخصت کی اجازت مانگی۔ بادشاہ نے شیواجی کی طاقت میں تخفیف کوغنیمت جان کر اس کے ساتھیوں کو دربارسے رخصت کردیا۔ لیکن یہ لوگ بجائے واپس ہونے کے بھیس بدل کر شہر میں گشت لگاتے تھے۔ کچھ دنوں بعد شیواجی خود بھی بیمار ہوگیا۔ بادشاہ نے اس کے علاج و معالجہ کے لیے خوداپناا طبیب مقرر کیا۔ لیکن مریض سے اس کا اصلی مرض دور نہ ہوا۔ اس کے بعد شیواجی خیرات وصدقات میں مصروف ہوااور اس سلسلہ میں ہر روز دوبڑے ٹوکرے روٹیوں سے بھرکر اپنے سامنے پہنچواتاتھااور مستحقوں میں تقسیم کرتاتھا۔ چوکیداروں نے ایک دو روز تک تلاشی لی لیکن جب جاناکہ یہ شخص ہر روز آتاہے تو تلاشی لینا چھوڑ دی(۱۶۳)۔بالآخر ایک دن شیواجی اور اس کا بیٹا سنبھاجی(۱۶۴) روٹیوں کے ٹوکروں میں بیٹھ کر قید خانے سے نکل آئے۔
tareekhe kashmeer (hasan)
शिवाजी ने अफजल खान को जिस तरीके से मारा उस पर भारतीयों का गर्व करना चाहिए,,, भारतीयों के लिए आदर्श

सैंकडों साल पुरानी किताब तारीख हसन में इस पर यूं परदा उठाया जाता है

शिवाजी ने दक्षिण में मैदान खाली देखकर मराठों की एक सेना जमा ली और ताखत और ताराज में व्यस्त हो गया. इसी तरह बीजापुर के राजा के काम में भी मुदाखलत करना शुरू कर दिया. जिस की वजह से यहां के राजा (159) को अफजल खान की सरदारी मैं पंद्रह हज़ार सपाही तय करने पड़े. अफ़ज़ल ख़ान जब शिवाजी के किले के पास पहुंचा तो शिवाजी ने उसे संदेश भेजा (160) कि बंदा को आपकी इताअत स्वीकार है लेकिन यह मुलाकात अकेले होनी चाहिए ताकि आंजनाब के साथ पूरे तौर पर अहद व पैमान बांध सकूं इस वजह से अफ़ज़ल ख़ान इस मुलाकात के लिए अकेले आया और उधर से शिवाजी भी अकेले आया. जब दोनों एक दूसरे से गले मिलने लगे तो शीवाजी ने अफ़ज़ल ख़ान के जिगर में ख़नजर पेवस्‍त कर दिया. इसके बाद उसका सर काट कर कत्‍ल और गारत में व्यस्त होगया इस तरह से बेशुमान माल और असबाब अपने कब्जे में ले आया. उसके बाद पचास हजार पैदल और सात हजार सवारों का लश्कर अपने साथ लेकर आमतौर पर लूटपाट करने लगा हर जगह बर्बादी मचा दी.


شیواجی نے دکن میں میدان خالی دیکھ کر مرہٹوں کی ایک فوج جمع کرلی اور تاخت و تاراج میں مصروف ہوگیا۔ اسی طرح بیجاپورکے بادشاہ کے کام میں بھی بے جامداخلت کرنا شروع کردی۔ جس کی بناپر یہاں کے بادشاہ(۱۵۹) کو افضل خان کی سرداری میں پندرہ ہزارسپاہی متعین کرنے پڑے۔ افضل خان جب شیواجی کے قلعہ کے پاس پہنچا تو شیواجی نے اسے پیغام بھیجا(۱۶۰)کہ بندہ کو جناب کی اطاعت منظور ہے۔ لیکن یہ ملاقات تنہا ہونی چاہیے تاکہ آنجناب کے ساتھ پورے طورپر عہدوپیمان باندھ سکوں۔ اس بناپر افضل خان اس کی ملاقات کے لیے تنہا آیاور ادھرسے شیواجی بھی تنہا آیا۔ جب دونوں ایک دوسرے سے بغل گیر ہونے لگے توشیواجی نے افضل خان کے جگر میں خنجر پیوست کردیا۔ اس کے بعد اس کا سرکاٹ کر قتل و غارت میں مشغول ہوگیااور اس طرح بے شمار مال اور اسباب اپنے قبضہ میں لے آیا۔ اس کے بعد پچاس ہزار پیادہ اور سات ہزار سواروں کا لشکر اپنے ہمراہ لے کر عام طورپر لوٹ مار کرنے لگااور ہر جگہ تباہی و بربادی مچادی۔

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