Wednesday, March 20, 2013

हज़रत मुहम्मद साहब का आखिरी संदेश

हज़रत मुहम्मद साहब का आखिरी संदेश


हज़रत मुहम्मद द्वारा हिजरत के दसवें साल में अपने अंतिम हज के अवसर पर मुहम्मद साहब के इस ऐतिहासिक अभिभाषण में सारी मानवता के कल्याण की शिक्षाएँ निहित हैं।


यह इस्लामी आचार-विचार का घोषणा पत्र है।

हज़रत मुहम्मद साहब ने कहा:


प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो।
ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना ।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना।
ब्याज के क़रीब न भटकना।

किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई प्राथमिकता नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।

तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।

इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून–रबीआ इब्न हारिस का ख़ून– ख़त्म करता हूँ।

अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।

औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।

औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।

लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया!
(लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी–)
हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल!
(तब मुहम्मद साहब ने तीन बार कहा–)
ऐ अल्लाह, तू गवाह रह।
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी–)
आज मैंने तुम्हारे लिए दीन को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत पूरी कर दी और तुम्हारे लिए इस्लाम को दीन की हैसियत से पसन्द किया।

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