Wednesday, March 20, 2013

kya Quran Islamic granth hai

अल्लाह ने कुरान में बहुत सी मिसालें देकर पूरी दुनिया को यह बताया है कि मैं हूँ , मेरा वजूद है ,मेरा कहना मानो , मेरी बातों पर अमल करो मेरे भेजे हुए सारे नबियों पर ईमान लाओ और मुहम्मद {सल्ल०} को आखिरी नबी मानते हुए उनकी इत्तेबा {अनुसरण} करो , कुरान में कई बाते जो बताई गई वो मौजूदा साइंस तस्दीक कर चुका {देखे किताब कुरान और माड्रन साइंसhttp://www.mediafire.com/?ddsu9629fbj89k1 } और कई बाते अभी भी तस्दीक करने को है , जल्द ही वो भी जब साइंस दुनिया के सामने पेश करेगी तो वो कुरान की ही बात होगी ...कुरान में अल्लाह फरमाता है सूरह हा-मीम सजदा41, आयत 53 में “शीघ्र ही हम उन्हें अपनी निशानियाँ उनके चारों तरफ दिखाएँगे और स्वयं उनके अपने भीतर भी, यहाँ तक कि उनपर {खुलकर} स्पष्ट हो जाएगा कि यह (क़ुरआन) सत्य है।
आज अभी एक नई तस्दीक ये है : कुरान की आयत बाद में बताऊंगा पहले में यह बता दूँ कि नई तस्दीक जो मौजूदा साइंस ने समझो की खोजा है लेकिन मेरे हिसाब से यह तस्दीक है , क्या है आभी आप लोग ग्लोबल वार्मिंग के बारे में तो पढ़ ही रहें होंगे आये दिन इसके बारे में समाचारों में आता रहता है
क्या है ग्लोबल वार्मिंग?

जैसा कि नाम से ही साफ है, ग्लोबल वार्मिंग धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। हमारी धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से उष्मा ( हीट, गर्मी ) प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल ( एटमास्पिफयर) से गुजरती हुईं धरती की सतह (जमीन, बेस) से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित ( रिफलेक्शन) होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश ( मोस्ट आफ देम, बहुत अधिक ) धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण ( लेयर, कवर ) बना लेती हैं। यह आवरण लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब ( इट इस रिकाल्ड, मालूम होना ) है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन ( अधिक मोटा होना) या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव ( साइड इफेक्ट) ।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव :

और बढ़ेगा वातावरण का तापमान : पिछले दस सालों में धरती के औसत तापमान में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है। आशंका यही जताई जा रही है कि आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग में और बढ़ोतरी ही होगी।

समुद्र सतह में बढ़ोतरी : ग्लोबल वार्मिंग से धरती का तापमान बढ़ेगा जिससे ग्लैशियरों पर जमा बर्फ पिघलने लगेगी। कई स्थानों पर तो यह प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। ग्लैशियरों की बर्फ के पिघलने से समुद्रों में पानी की मात्रा बढ़ जाएगी जिससे साल-दर-साल उनकी सतह में भी बढ़ोतरी होती जाएगी। समुद्रों की सतह बढ़ने से प्राकृतिक तटों का कटाव शुरू हो जाएगा जिससे एक बड़ा हिस्सा डूब जाएगा। इस प्रकार तटीय ( कोस्टल) इलाकों में रहने वाले अधिकांश ( बहुत बडा हिस्सा, मोस्ट आफ देम) लोग बेघर हो जाएंगे।

मानव स्वास्थ्य पर असर : जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर मनुष्य पर ही पड़ेगा और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडेग़ा। गर्मी बढ़ने से मलेरिया, डेंगू और यलो फीवर ( एक प्रकार की बीमारी है जिसका नाम ही यलो फीवर है) जैसे संक्रामक रोग ( एक से दूसरे को होने वाला रोग) बढ़ेंगे। वह समय भी जल्दी ही आ सकता है जब हममें से अधिकाशं को पीने के लिए स्वच्छ जल, खाने के लिए ताजा भोजन और श्वास ( नाक से ली जाने वाली सांस की प्रोसेस) लेने के लिए शुध्द हवा भी नसीब नहीं हो।

पशु-पक्षियों व वनस्पतियों पर असर : ग्लोबल वार्मिंग का पशु-पक्षियों और वनस्पतियों पर भी गहरा असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही पशु-पक्षी और वनस्पतियां धीरे-धीरे उत्तरी और पहाड़ी इलाकों की ओर प्रस्थान ( रवाना होना) करेंगे, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ अपना अस्तित्व ही खो देंगे।

शहरों पर असर : इसमें कोई शक नहीं है कि गर्मी बढ़ने से ठंड भगाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली ऊर्जा की खपत (कंजम्शन, उपयोग ) में कमी होगी, लेकिन इसकी पूर्ति एयर कंडिशनिंग में हो जाएगी। घरों को ठंडा करने के लिए भारी मात्रा में बिजली का इस्तेमाल करना होगा। बिजली का उपयोग बढ़ेगा तो उससे भी ग्लोबल वार्मिंग में इजाफा ही होगा।
यानी इसका असर है की समुंद्र का पानी का स्तर बड़ेगा और रहने लायक जमीन का हिस्सा लोगों के लिये काम होता जायेगा ...
इस मुद्दे के लिए ndtv India news चैनल ने एक खास मुहीम छेडी थी {है} ताकि लोग जागरूक हो सके देखे इस लिंक परhttp://www.youtube.com/watch?v=kiSQ4gp4LhE
और भी कई डकुमेन्ट्री फिल्म बन चुकी है मेने खुद एक फिल्म 2009 में देखी थी उसमे यही मुद्दा था आप भी एक ऐसी डकुमेन्ट्री देखे http://video.google.com/videoplay?docid=-3309910462407994295
अब आप सोच रहें होंगे ये सब तो ठीक है , यह हो रहा है
लेकिन में कुरान की इन आयतों पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ : गौर फरमाए अल्लाह ने कुरान में सूरह राद 13 आयत 41 में यही कहा “क्या उन लोगों ने ये बात न देखी कि हम ज़मीन को उनके तमाम एतराफ (चारो ओर) से घटाते चले आते हैं और ख़ुदा जो चाहता है हुक्म देता है उसके हुक्म का कोई टालने वाला नहीं और बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है
एक और जगह कुरान में अल्लाह का इर्शाद है सूरह अंबिया 21 आयत 44 में “ .....क्या उन्हें नहीं दिखाई देता कि ज़मीन को हम चारों तरफ से उन पर घटाते आ रहें है और उन पर ज़मीन तंग हो रही है ...” {तर्जुमा तशरीहुल कुरान }
इन आयतों को आप खुद पढ़े http://www.mediafire.com/?yupnto8s5aare
ओन लाइन पढ़े >> http://tanzil.net/#trans/hi.hindi/10:6

तो नतीजा यह निकला : कि अल्लाह का कलाम सच्चा और बरहक है और जो भी इनसान अभी तक खोज पाया है वह सिर्फ एक तस्दीक है कुछ नया नहीं और जो भी होना होता है वो अल्लाह की किताब कुरान में दर्ज है ,
इसलिए मशहूर साइंटिस्ट फ्रान्सिस बेकन ने कहा था “
साइंस का अधूरा {कम} ज्ञान आपको खुदा का इनकारी बनाता है लेकिन साइंस का विस्तृत और गहरा ज्ञान आपको खुदा पर ईमान लाने पर मजबूर कर देगा”
अगर अब भी किसी को शक है कि क्या कुरान अल्लाह का कलाम है ? तो उसे फिर से सोचना चाहिए और उसे इन किताबों का अध्यन कर चाहिए
क्या कुरान इश्वरीय ग्रंथ है >>>>http://www.mediafire.com/?7ngz86wanoyig18
और क्या क्या कुरान में साइंस के मुत्तालिक आयतें है जिनकी तस्दीक मौजूदा विज्ञान कर चुका इसे भी पढ़ेhttp://www.mediafire.com/?00wo43dqig8vhdw
और आखिर में इन आयतों पर में अपनी बात खत्म करता हूँ , अल्लाह का फरमान है “वही है जिसने सूर्य को सर्वथा दीप्ति और चन्द्रमा का प्रकाश बनाया औऱ उनके लिए मंज़िलें निश्चित की, ताकि तुम वर्षों की गिनती और हिसाब मालूम कर लिया करो। अल्लाह ने यह सब कुछ सोद्देश्य ही पैदा किया है। वह अपनी निशानियों को उन लोगों के लिए खोल-खोलकर बयान करता है, जो जानना चाहें (5)निस्संदेह रात और दिन के उलट-फेर में और जो कुछ अल्लाह ने आकाशों और धरती में पैदा किया उसमें डर रखनेवाले लोगों के लिए निशानियाँ है (6) रहे वे लोग जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते और सांसारिक जीवन ही पर निहाल हो गए है और उसी पर संतुष्ट हो बैठे, और जो हमारी निशानियों की ओर से असावधान है; (7) ऐसे लोगों का ठिकाना आग है, उसके बदले में जो वे कमाते रहे (8) {सूरह यूनुस १०}

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